Am a villager - खूबसूरती के मोहताज़ में एक दिन चेहरा पिला होगा, ढ़लती उम्र के एक दौर में, चेहरा पिला पड़ जायेगा, जीवित जीवन बचेगा किसमे, शब्दों में,शब्द अमर होते हैं, गर अनपढ़ होती मैं,जीवन कैसे जीती, होते मेरे पास वर्ण,उनको शब्दों में कैसे पिरोती, जीवन शब्दों में कैसे जीवित रहता। ।। आभार ।। Visit blog Am a villager ALSO READ ONE - ➡️ वो स्तब्ध सी,शिवा तुझमें पूर्ण।। ...
वो स्तब्ध सी,शिवा में पूर्ण,खुद में अपूर्ण।।|हिंदी कविता 2021 by Anita Deora |Hindi Poem |Hindi poetry for self lovers .
Am a villager -Anita Deora वो स्तब्ध सी,शिवा में पूर्ण थी.... वो स्तब्ध थी, शब्दों के आडम्बर में शून्य थी, वो खुद के मौन से पराजित थी, अंर्तआत्मा में विजय थी, वो किसी की पर्यायवाची नही, अब खुद का विलोम थी, वो तृष्णा से परे,संवेदनाओं से भरी, अब पूर्णत अलंकृत थी, वो ओउम नमः शिवाय में विलुप्त सी, शिवा तुझमें पूर्ण,खुद में अपूर्ण थी।। ।।आभार।। Visit blog Am a villager ALSO READ ONE - ➡️ आजादी को प्यारे पँछी ➡️ Speak to yourself ➡️ शांति के पीछे, दिल का शोर from a girls heart ➡️ रुक जाओ,ठहर जाओ, खुद से प्यार ➡️ शिक्षा के आयाम